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Monday, August 19, 2013

१५ वर्षो से बहाकर ले जा रहा उपजाऊ भूमि


वेकोली के नाले से तटवर्ती किसान हलाकान
पल्ला झाड रहे वेकोलि अधिकारी

चंद्रपुर- भद्रावती तहसील के चारगांव स्थित तेलवासा ओपनकास्ट खदान ने वेस्टेज पानी वर्धा नदी में छोडने हेतु वर्ष १९९८ में नाला बनाया था. परंतु नाले के निर्माण में उचित तकनीकी का तथा सही ढंग से न होने के कारण नाला नदी में तब्दील हो गया है. जिसके कारण नाले के तट पर के खेतों को काफी नुकसान हो रहा है. संबंधित किसानों ने वेकोलि से खेतभूमि अधिग्रहित करने तथा नुकसान भरपाई देने की मांग की है परंतु वेकोलि प्रशासन अडियल रवैय्या अपनाते हुये कृषि भूमि वेकोलि के नाले से खराब न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड रहा है.
भद्रावती तहसील के ग्राम चारगांव के पास से वर्ष १९९८ के पहले किसी भी प्रकार का नाला अस्तित्व में नही था. परंतु १९९८ से वेकोलि ने चारगांव की खेतभूमि अतिग्रहित कर विस्तार बढाने का कार्य शुरू किया तबसे यहां के किसानों की परेशानियां बढती जा रही है. वेकोलि के नियोजन शून्य कार्य, मिट्टी के टीले (ओवरबर्डन), धूल तथा दिनभर की डम्परों की यातायात से खेतों की फसले नष्ट होती जा रही है. जिससे किसानों का काफी नुकसान हा रहा है. वर्ष १९९८ में तेलवासा ओपनकास्ट प्रोजेक्ट ने काम शुरू कर दिवान आसुटकर की सर्वे क्रमांक २३४, विठ्ठल आसुटकर की सर्वे क्रमांक २३३, संभाजी सातपुते की सर्वे क्रमांक २२५ व मधुकर सातपुते की सर्वे क्रमांक २२४ की भूमि भुमि अधिग्रहित कर वेकोलि का वेस्टेज पानी वर्धा नदी में छोडने हेतु नाला बनाया गया. इस नाले से भद्रावती, गवराला तथा ढोरवासा ओपनकास्ट का पानी वर्धा नदी में छोडा जाता है. परंतु यह नाला वर्ष १९९८ से कुछ किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है. पिछले १५ वर्षो से तेलवासा ओपनकास्ट द्वारा बनाए गए नाले की दोनों ओर दीवार न बनाने तथा उचित तकनीक का प्रयोग न करने की वजह से हर बरसात  में उपजाऊ खेतों की मिट्टी बहाकर नदी में ले जा रहा है. जिसका खामियाजा नाले के तट पर स्थित किसान उध्दव दिना सातपुते की सर्वे क्रमांक २३२/१,  अल्पभूधारक कमलेश उध्दव सातपुते सर्वे क्रमांक २६१ तथा अल्पभूधारक प्रमिला दिना सातपुते सर्वे क्रमांक २३२/२, नागो टेकाम सर्वे क्रमांक २४९ व शामराव गोंड सर्वे क्रमांक २४७ को सहना पड रहा है. पिछले कई वर्षो से  बरसात के दिनों में तथा इस वर्ष ४ बार हुई अतिवृष्टि के चलते यह नाला ३० फिट गहराई की नदी में तब्दील हो गई. जिससे संबंधित किसानों की कई एकड खेतों का नुकसान हो रहा है.
किसानों की मांग
वर्ष १९९८ के पहले नाला नहीं होने के कारण किसी भी खेत को नुकसान नही होता था. परंतु नाले के बनते ही कई किसानों की खेतों की मिट्टी बहती जा रही है. संबधीत नाले को पुरी तरह से बंद किया जाए अन्यथा नाले के तट पर स्थित भूमि को अधिग्रहण करने की मांग की जा रही है.  
पल्ला झाड रहे वेकोलि अधिकारी
वेकोलि सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी ने बताया कि यह खेत भूमि वेकोलि के नाले से नही बह रही है. तथा खेतभुमि को लेने हेतु खेत में कोयला होना आवश्यक है तथा कंपनी का विस्तार होना आवश्यक है. इसलिये वेकोलि अधिकारी अपना पल्ला झाड रहे है किंतु नाले से किसानों की उपजाऊ भूमि के साथ मिट्टी बहकर जा रही है.


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