हमला दुमका से 35 किलोमीटर दूर काठीकुंड इलाके में किया गया. यहां नक्सली पहले से ही घात लगाए बैठे थे और काफिले के नजदीक आते ही उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस पार्टी मौके पर पहुंच गई है और शवों को दुमका लाया जा रहा है.
अमरजीत बलिहार मूलतः स्टेट पुलिस के अफसर थे और शानदार रेकॉर्ड के चलते प्रमोट होकर आईपीएस बनाए गए थे. 17 मई को ही उन्होंने पाकुड़ का कार्यभार संभाला था.
पाकुड़ पं बंगाल की सीमा से सटा जिला है और माना जाता है कि यहां नक्सली समानांतर सरकार चलाते हैं. झारखंड के लिए यह जिला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से बड़े पैमाने पर राजस्व आता है. यह जिला बीड़ी उद्योग और स्टोन क्रशिंग के लिए मशहूर है. यहां की काले रंग की स्टोन चिप का निर्यात भी किया जाता है. इसी उद्योग के इर्द गिर्द अवैध खनन और वसूली का भी कारोबार चलता है.
नक्सलियों का नाम इस हमले से पहले सिस्टर वाल्सा जॉन के मर्डर में सामने आया था. सिस्टर एक ईसाई मिशन के तहत यहां पढ़ाती थीं. केरल की रहने वाली सिस्टर का यहां जब मर्डर हुआ, तो कहा गया कि नक्सलियों का इसके पीछे हाथ था. हालांकि अभी तक हत्या की यह गुत्थी सुलझ नहीं पाई है.
इससे पहले नक्सलियों ने पनेम नाम की कोल माइनिंग कंपनी के सुरक्षा कर्मियों को मार दिया था और उनकी जेसीबी मशीन और डंफर भी जला दिए थे. बताया गया कि लेवी वसूलने के लिए खौफ पैदा करने को यह कार्रवाई की गई. इसके अलावा कुछ एक मौकों पर लैंड माइन बिछाकर पुलिस टुकड़ियों पर भी हमला किया गया.
नक्सली गतिविधियों को देखते हुए पुलिस के अलावा यहां रिजर्व बटालियन की भी एक कंपनी अमरापाड़ा इलाके में तैनात है.