राश्ट्र संत मुनिश्री चिन्मय सागर जी महाराज ‘‘जंगल वाले बाबा’’ का संदेष
मुनिश्री का आप सबके लिये आषीर्वाद। धर्मानुरागी बधुओं! गोवा के लोकोपयोगी मंत्री सुदीन धवलीकर ने जो जैन दिगम्बर मुनिराजो के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वह घोर निंदनीय और असहनीय है। ये सिर्फ दिगम्बर जैन साधु और जैन धर्म के ऊपर ही नहीं, सत्य, अहिंसा, तप और त्याग करने वाले सभी धर्म के साधु, संतों का घोर अपमान है। उन पर कुठाराघात है। मुबंई पत्रकार संघ के अध्यक्ष तिवारी ने जो प्रतिबंध की कार्यवाही हेतु डी.जी.पी. के लिये जो बात कही वह भी घोर आपत्तिजनक है। हमारे देष की संस्कृति सत्य, अहिंसा, त्याग है। दिगम्बर श्रमण संत हमारे संरक्षक है। इनका सत्य, अहिंसा, संयम, तप और त्याग चरम सीमा का है। दिगम्बर जैन साधु दया की मूर्ति हैं और हमारे देष की धरोहर हैं। जिनके तप, त्याग और अहिंसा की साधना से समाज और विष्व में षांति और स्थिरता बनी हुई है। ऐसे संतों पर कुछ पदासीन लोगों के बयान इनकी मानसिकता को दर्षातें है। बिकनी से दिगम्बर जैन साधुओं जैसे महान तपस्वियों की तुलना करना उनके चारित्र को दर्षाती है। ऐसे लोगों की वजह से ही देष व समाज चरित्रहीन होता जा रहा है। लगता है दिगम्बर साधुओं की तरह तप, त्याग, अहिंसा को धारण नहीं कर पाने के कारण ये ईश्र्या रखते है, द्वेश रखते है। जैन समाज, जैन धर्म और अल्संख्यकों के साथ यह बहुत बड़ी साजिष और शंड़यंत्र लग रहा है। इसलिये देष भर की जैन समाज और सभी षीर्श संस्थानें एवं सभी साधु, संत खुलकर सामने आयें। ऐसे लोगों को उनके पीछे रहने वालों को जैन समाज के अस्तित्व का अहसास करायें। आगे इस प्रकार कोई शंड़यंत्र न रचा सके, ऐसा घोर प्रतिकार करें और देष के प्रधान मंत्री, गृह मंत्री और भाजपा सरकार के सारे मुख्यमंत्री और षीर्श नेताओं से इस बयान के बारे में प्रतिक्रिया मांगे। जब तक प्रतिक्रिया नहीं देते है तब तक घोर प्रतिरोध करें साथ ही जैन समाज यह समझे कि कौन-कौन हमारे साथ क्या-क्या कर रहा है ? चरित्र चक्रवती आचार्य षांतिसागर जी महाराज का स्मरण करें जिन्होंने हमारे लिये कितना बड़ा उपकार किया था। और सभी समाधान होने तक घोर प्रतिरोध और प्रतिकार करते रहें।
मुनिश्री का आप सबके लिये आषीर्वाद। धर्मानुरागी बधुओं! गोवा के लोकोपयोगी मंत्री सुदीन धवलीकर ने जो जैन दिगम्बर मुनिराजो के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वह घोर निंदनीय और असहनीय है। ये सिर्फ दिगम्बर जैन साधु और जैन धर्म के ऊपर ही नहीं, सत्य, अहिंसा, तप और त्याग करने वाले सभी धर्म के साधु, संतों का घोर अपमान है। उन पर कुठाराघात है। मुबंई पत्रकार संघ के अध्यक्ष तिवारी ने जो प्रतिबंध की कार्यवाही हेतु डी.जी.पी. के लिये जो बात कही वह भी घोर आपत्तिजनक है। हमारे देष की संस्कृति सत्य, अहिंसा, त्याग है। दिगम्बर श्रमण संत हमारे संरक्षक है। इनका सत्य, अहिंसा, संयम, तप और त्याग चरम सीमा का है। दिगम्बर जैन साधु दया की मूर्ति हैं और हमारे देष की धरोहर हैं। जिनके तप, त्याग और अहिंसा की साधना से समाज और विष्व में षांति और स्थिरता बनी हुई है। ऐसे संतों पर कुछ पदासीन लोगों के बयान इनकी मानसिकता को दर्षातें है। बिकनी से दिगम्बर जैन साधुओं जैसे महान तपस्वियों की तुलना करना उनके चारित्र को दर्षाती है। ऐसे लोगों की वजह से ही देष व समाज चरित्रहीन होता जा रहा है। लगता है दिगम्बर साधुओं की तरह तप, त्याग, अहिंसा को धारण नहीं कर पाने के कारण ये ईश्र्या रखते है, द्वेश रखते है। जैन समाज, जैन धर्म और अल्संख्यकों के साथ यह बहुत बड़ी साजिष और शंड़यंत्र लग रहा है। इसलिये देष भर की जैन समाज और सभी षीर्श संस्थानें एवं सभी साधु, संत खुलकर सामने आयें। ऐसे लोगों को उनके पीछे रहने वालों को जैन समाज के अस्तित्व का अहसास करायें। आगे इस प्रकार कोई शंड़यंत्र न रचा सके, ऐसा घोर प्रतिकार करें और देष के प्रधान मंत्री, गृह मंत्री और भाजपा सरकार के सारे मुख्यमंत्री और षीर्श नेताओं से इस बयान के बारे में प्रतिक्रिया मांगे। जब तक प्रतिक्रिया नहीं देते है तब तक घोर प्रतिरोध करें साथ ही जैन समाज यह समझे कि कौन-कौन हमारे साथ क्या-क्या कर रहा है ? चरित्र चक्रवती आचार्य षांतिसागर जी महाराज का स्मरण करें जिन्होंने हमारे लिये कितना बड़ा उपकार किया था। और सभी समाधान होने तक घोर प्रतिरोध और प्रतिकार करते रहें।